लोक पाल को ले कर तलवारे खीच चुकी है . जितना बवाल और विरोध लोक पाल को ले कर संसद के बहार हो रहा है उतना ही विरोध इसका संसद के भीतर भी चल रहा है.लालू और मुलायम जैसे नेता तो इसके विरोध मे है ही मगर बीजेपी भी अब इसके विरुद्ध आ चुकी है.मगर इन सब के दर लोक पाल को ले कर अलग अलग है .
जहां बीजेपी का मानना है की इस लोक पाल में कोई दम नहीं है तो वही मुलायम को ये डर सता रहा है की यदी सारी ताक़त एक हाथो में दे दी जाएगी तो नेताओ की कोई इज्ज़त नहीं रह जाएगी .
बुधवार को स.पा के नेता मुलायम सिंह ने लोक पाल का पुर जोर विरोध किया..उनका कहना था अगर ऐसा लोक पाल बनाया गया जिसमे सारी शक्ति एक व्यक्ति में समाहित होगी तो वो दिन दूर नहीं जब दरोगा नेताओ को उठा कर जेल में ठूस देंगे. कि लोकपाल आ जाएगा तो एसपी, डीएम, दरोगा जब चाहेंगे, हमें जेल भेज देंगे। ....मुलायम का मानना है ऐसा लोक पाल बना तो पुलिस के पास सारी ताकत होगी और नेताओ की कोई इज्ज़त नहीं करेगा..लालू भी मुलायम के समर्थन में उतरे और उन्होंने कहा की इस साजिश को सांसदों को समझना चाहिए ..
मगर रोचक बात यह है की ये वही मुलायम है जो शुरुवात में अन्ना का खुले आम समर्थन करते नज़र आ रहे थे ..और आज वही अन्ना से अपनी कन्नी काट रहे है ..इससे पहले अन्ना की रैली में राम गोपाल यादव जो राज्य सभा के एम.पी भी है ..वो भी खुले शब्दों में अन्ना के समर्थन करते नज़र आये
अब इकदम से अन्ना हजारे से मुह फेर लेना...कुछ समझ नहीं आया ..
मगर, बीजेपी का रुख इन दलों से कुछ अलग है। बीजेपी लोकपाल को और मजबूत बनाना चाहती है। पार्टी महासचिव और प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि पार्टी लोकपाल को और मजबूत बनाना चाहती है। उन्होंने कहा कि लोकसभा में बहस के दौरान पार्टी का रुख यह रहेगा कि सीबीआई को लोकपाल के दायरे में होना चाहिए।
राज्यसभा में पार्टी के नेता अरुण जेटली ने कहा कि बीजेपी संसद के सत्र की अवधि बढ़ाए जाने पर तो सरकार से सहमत है लेकिन प्रस्तावित लोकपाल बिल के प्रावधानों से नहीं। उन्होंने साफ किया कि उनकी पार्टी मौजूदा स्वरूप में बिल का समर्थन नहीं कर सकती।
साफ हो गया है कि 27, 28 और 29 दिसंबर को लोकपाल के मसले पर अन्ना के अनशन और बीजेपी के विरोध के चलते सरकार को संसद के बाहर ही नहीं अंदर भी तगड़ा विरोध झेलना होगा।..ऐसी स्थिथि में इतने सारे विरोधो के चलते कैसा लोकपाल आएगा ये देखना है ..
राज्यसभा में पार्टी के नेता अरुण जेटली ने कहा कि बीजेपी संसद के सत्र की अवधि बढ़ाए जाने पर तो सरकार से सहमत है लेकिन प्रस्तावित लोकपाल बिल के प्रावधानों से नहीं। उन्होंने साफ किया कि उनकी पार्टी मौजूदा स्वरूप में बिल का समर्थन नहीं कर सकती।
साफ हो गया है कि 27, 28 और 29 दिसंबर को लोकपाल के मसले पर अन्ना के अनशन और बीजेपी के विरोध के चलते सरकार को संसद के बाहर ही नहीं अंदर भी तगड़ा विरोध झेलना होगा।..ऐसी स्थिथि में इतने सारे विरोधो के चलते कैसा लोकपाल आएगा ये देखना है ..
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