डी म के की नेता कनिमोझी अभी भी जेल की सलाखों के पीछे है...उन्होंने नयायपालिका से ये गुहार लगे थी की उनको जमानत मिलनी चाहिए ...क्युकी अभी तक उनका गुनाह साबित नहीं हुआ है.. नयायपालिका नै यह कह कर जमानत की अर्जी नामंजूर कर दी की इनकी दलीलों में कोई दम नहीं है ...
इसी नयायपालिका को कल उस वक़्त शर्मिंदा होना पड़ा जब एक मरा हुआ व्यक्ति वापस आ गया ...२ अगस्त २००० को रामेश्वर , मोहन और दाल चाँद को भगवान दास के मर्डर के केस मई तीनो को उम्र कैद सुनाये गयी थी ...यह तीनो दस साल से जिस भगवन दास के मर्डर की सज़ा काट रहे थे ..वही अब वापस आ गया ..
भगवान् दास का कहना था की वो तो हिमांचल प्रदेश में काम कर रहा था ...अब सवाल ये है की क्या भारतीय न्यायिक व्यवस्ता क्या उन तीनो को वेह १० साल वापस कर सकती है...उनके परिवार नै जिस हालातो में यह १० साल काटे क्या उसकी भरपाई कर सकती है?
आज भी किसी केस को सुल्जाने में इतना समय क्यों लगा देती है...बलात्कार के किसी केस में सुनवाई जब ही क्यों हो पाती है...जब या तो वो महिला दादी नानी बन जाती है या फिर अपराधी ही दुनिया से सिधार जाता है...
क्यों अभी तक बाबरी मस्जिद पे कोई फैसला नहीं हो पाया ..?
आरुशी जैसे मासूम को अभी तक न्याय क्यों नहीं मिल पाया...?
सवाल कई है जिनके सवाल अभी भी नदारद है...!!
कहने को तो हम दुनिया के साथ कदम से कदम मिला कर चल रहे है...तो क्यों आज हमारी न्यायिक व्यवस्था इतनी कमज़ोर है ...
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