सभ्यता की हद्दो को लांघने वाले फ्रांसिस पेंटर नेव्तों सुजा ने तीन साल पहले एक पेंटिंग बनायीं थी जो काफी चर्चा में रही ..इसमें एक दंपत्ति की तस्वीर दो कैनवास पर बनाये थी ..इसमें एक तरफ एक महिला अपने बचे को गोद में लिए बहती है..दूसरी और एक आदमी काट पन्त पहने बहता है..जब सुजा साईं पुचा गया की उन्होंने ऐसा क्यों किया...तो उन्हने जवाब दिया क जब दंपत्ति अलग होगी तो पेंटिंग को ले कर लड़े न करनी पड़े..उस समय ये जवाब बहूत से लोगो को अजीब लगा होगा..मगर अगर इसे आज के परिद्शेय में दखे तो सुजा नै भविष्य की एक समस्या की तरफ इंगित करते हुए ये पेंटिंग बनाए थी...
आज जब लोग तलक ले कर अलग होते है तो सिर्फ कस्टडी या कैश के लिए ही नहीं बहुत सी अजीबो गरीब चीजों पे लड़ते नज़र आते है ...हाल ही में सिंगर अदनान सामी और सबा के तलक समय सबा का कहना था की वो साड़ी शर्तो को मानने को तैयार है बशर्ते अदनान को रौक (कुत्ता) वापस करना पड़ेगा..
वकीलों का ऐसा कहना है की तलक ले रही दम्पतिया के मध्य बच्चो की क्स्तोद्य का मसला तो आराम से सुल्ज जाता है...किन्तु पेंटिंग्स , कुत्ते आदि तीखी चिट्टा कशी का कारन बन जाते है...
मशहूर वकील मुदुला कदम कहती है की तलक के दौरान दम्पति उसी सामान पे जम क्र लड़ते है जिससे वो भावनात्मक रूप से जुद्दे होते है..
ऐसे में लडती झगडती अलग होती ये दम्पतियन संस्कृति का गला तो घोट ही रही है और समाज के सामने बहूत ही गंभीर समस्या पैदा कर रही है ..
तलक शुदा दम्पतियाँ अपने बच्चो का भविष्य तो अन्धकार में डालते ही है साथ ही इन सामान कके लिए लड़ लड़ कर उनके सामने ये छवि पेश करते है की आज इन्सान से ज्यादा किसी भी इन्सान के लिए सामान ज्यादा मायने रखता है..
किसी कुत्ते या पेंटिंग्स क साथ इतने भावनात्मक रूप से जुड़ कर अपनों को ही बेगाना कर देना ..कहा की इंसानियत है..
आज जब लोग तलक ले कर अलग होते है तो सिर्फ कस्टडी या कैश के लिए ही नहीं बहुत सी अजीबो गरीब चीजों पे लड़ते नज़र आते है ...हाल ही में सिंगर अदनान सामी और सबा के तलक समय सबा का कहना था की वो साड़ी शर्तो को मानने को तैयार है बशर्ते अदनान को रौक (कुत्ता) वापस करना पड़ेगा..
वकीलों का ऐसा कहना है की तलक ले रही दम्पतिया के मध्य बच्चो की क्स्तोद्य का मसला तो आराम से सुल्ज जाता है...किन्तु पेंटिंग्स , कुत्ते आदि तीखी चिट्टा कशी का कारन बन जाते है...
मशहूर वकील मुदुला कदम कहती है की तलक के दौरान दम्पति उसी सामान पे जम क्र लड़ते है जिससे वो भावनात्मक रूप से जुद्दे होते है..
ऐसे में लडती झगडती अलग होती ये दम्पतियन संस्कृति का गला तो घोट ही रही है और समाज के सामने बहूत ही गंभीर समस्या पैदा कर रही है ..
तलक शुदा दम्पतियाँ अपने बच्चो का भविष्य तो अन्धकार में डालते ही है साथ ही इन सामान कके लिए लड़ लड़ कर उनके सामने ये छवि पेश करते है की आज इन्सान से ज्यादा किसी भी इन्सान के लिए सामान ज्यादा मायने रखता है..
किसी कुत्ते या पेंटिंग्स क साथ इतने भावनात्मक रूप से जुड़ कर अपनों को ही बेगाना कर देना ..कहा की इंसानियत है..