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Friday 30 December 2011

संस्कृति को नष्ट करते रिअलिटी शोज्

रिअलिटी शोज्स आज चर्चा का प्रमुख अंग बन चुके है ...ज़्यादातर टीवी चनेलो पर तो जैसे रिअलिटी शोज्स की बाढ़  ही आ गई  है  अब वो चाहे किसी सेलब्रिटी की जिंदगी से सम्बंधित  हो, या फिर कोई  टेलेंट  शो ,कही कॉमेडी सर्कस है  तो कही  बिग  बॉस जैसा नामी शो ,कही spltsvlla है तो कही राखी का स्वयंवर ..अब सास बहु की तकरार की जगह लोग असल ज़िन्दगी की मार धाड़ देखने में मशगुल नज़र आते है  .....इस सब की शुरुवात एम. टीवी   ने roadies से की थी ...
हम सभी इस चीज़ से परिचित है की रिअलिटी शोज के नाम पर हमे आज  क्या परोसा जा रहा है ...रिअलिटी शोज्स के नाम पर ऐसी अश्लील भाषा का इस्तेमाल किया जा रहा जिसे किसी भी स्तिथि में स्वीकार नहीं किया जा सकता...ऐसा ही कुछ यु. टीवी बिंदास के दादागिरी और एम टीवी के roadies में दिखाया जाता है ...भाषा के फुहड़पन की बात की जाए तो कोई भी reality शो पीछे नहीं है ....ऐसे शोज्स के बदौलत लोगो की  प्राय:  ऐसी मानसिकता  देखने को मिलती की भाषा में  अश्लीलता  आधुनिकता का प्रतीक है...मझे अपने ही  साथ घटित एक वाकया याद आ रहा है ...मेरी एक दोस्त ने मझे गली ना दे पाने की वजह से ये कह डाला था ..."लगता नहीं तू बचपन से दिल्ली में रही है " ऐसे लोगो की मानसिकता पर काफी तरस आता है मुझे ...जिनके लिए आधुनिक वो है जिनकी भाषा ऐसी हो गयी है ...जो उनके माँ बाप की गर्दन शर्म से झुका दे...ये सब इन रिअलिटी शोज्स की ही तो देन है ...
जब इन रिअलिटी शोज्स पर ये आरोप लगाया जाता है की वो संस्कृति को नष्ट करने का काम कर रहे है तो अपनी सफाई में उनका रुख कुछ ऐसा होता है....संस्कृति को बढ़ावा देने का काम रिअलिटी शोज्स की ज़िम्मेदारी  नहीं है ...ये आज के youth की मांग है ...और आज सभी के पास remotes है उनकी पसंद है वो जो चाहे देखे...
youth के नाम पर रिअलिटी शोज्स तो बच जाते है ..मगर वो ये क्यों भूल जाते है की ऐसी मानसिकता केवल रिअलिटी शोज्स की ही देन है .
अब बिग बॉस को ही ले लिजीये sunny leone के आगमन से जो आज कल काफी चर्चा में दिख रहा है...sunny leone  एक adult movies का जाना माना नाम है ...बिग बॉस में उनके आने के बाद से ..एक सर्वे के मुताबिक कटरीना करीना जो इंडिया में गूगल पर सर्च की जाने वाली अवल celebrities थी... अब उनकी जगह sunny  leone ने ले ली है  ...करीना के मुकाबले ५ गुना ....कटरीना के मुकाबले ९ गुना सर्च की जाने वाले सेलेब्रिटी बन गए है ...sunny leone  को बिग बॉस से पहले तो शायद कोई जानता भी नहीं था ...ऐसे में तो हम ये मान ही सकते है की youth की डिमांड को आज रिअलिटी शोज्स ही निर्धारित कर रहे है 
ऐसे ही विना मालिक भी रिअलिटी शोज्स की ही देन है ..जिन्हें अपने अस्तित्व और अपनी संस्कृति की तो फ़िक्र नहीं है ...साथ ही हमारी संस्कृति को भी भ्रष्ट कर  रही है ..


अब हमे और आप को ही सोचना है की क्या आज का यूथ किसी रिअलिटी शो का मोहताज है अपनी मानसकिता को निर्धारित करने के लिए ...या हम अपनी मानसिकता के अनुसार रिअलिटी शो बनाएंगे या अपनी मानसिकता को रिअलिटी शोज्स के ढाचे में ढाल देंगे...फैसला हमारा है..

Saturday 24 December 2011

संसद बड़ी या अन्ना ???

भारत एक लोकतांत्रिक  देश है ..यहाँ पर  सरकार हम ही बनाते है..हमारे द्वारा चुने गए मंत्री संसद में जा कर सुचारू रूप से कार्य करते है ...ये कोई नई  बात नहीं है जो मैं आप सब को बता रही हूँ ...हम शुरू से हे ये देखते और पढ़ते आ रहे है ...मगर अब एक नई  ही तकनीक लोगो ने इजात कर ली है ..अनशन...जब कोई बात हमारे अनुरूप  नहीं हो रही होती हम इसी रास्ते पर  चल पड़ते है ..यहाँ तक बात समझ में आती है ..क्युकी  वो रास्ता जो हमे हमारे पूर्वजो ने दिखाया था..जिस  में बापू प्रमुख है ...आज कल जो लोग अनशन को अपना हथियार  बनाए हुए ह वो भी अपनी बात को इसी तर्क से ढकते है ...मगर मैं उन लोगो को ये बात याद दिलाना  चाहती हूँ की अब और पहले के वक़्त में ज़मीन में असमान का फर्क है
जिस गोरी सरकार के खिलाफ बापू और जवाहर लाल नेहरु लड़े थे ये वो सरकार नहीं है...ना ही कोई घुसपठी सरकार है ...ये सरकार हमने ही बनाए है और अब हम ही इनके काम में बाधा बने हुए है...सरकार जब कोई कदम उठाना चाहती है तब उसके सामने  अन्ना हजारे  करोड़ो लोगो के  सैलाब के साथ   उमड़ पड़ता है ..पहले तो लोगो की ये शिकायत थी की लोक पाल के मुद्दे को संसद में नहीं उठाया जा रहा...अब जब लोक पाल के मुद्दे को ले कर संसद सतर्क हुई  है तो क्यों संसद को अपना काम नहीं करने दिया जा रहा है ...ये वही अन्ना हजारे है जो पहले ये कह कर जनता का समर्थन पा रहे थे की उनका सम्बन्ध किसी राजनितिक पार्टी से नहीं है ..और अब वही सर्व दलिये बैठक करवा रहे है ...यु.पि.ऐ  सरकार के खिलाफ लोगो को भटका रहे है ...मैं इस सब के लिए केवल अन्ना हजारे जी को ज़िम्मेदार नहीं ठहराना चाहुगी  क्युकी वो सिर्फ मोहरा है ..उनको हथियार बना कर सब अपना अर्थ सिद्ध करने में  लगे हुए है ....
शीत कालीन सत्र को बढाने के बावजूद टीम अन्ना को क्यों यकीन नहीं है के संसद जो करेगे वो इस देश के भविष्य के लिए सही ही होगा...क्यों इस बार भी अन्ना अनशन करने पर  अड़े हुए है ..जबकि उनको अभी तक  ये भी पता नहीं है आखिर ये लोक पाल बिल होगा कैसा ????
संसद हमेशा से जब सारे बिल को खुद ही बनाती आई  है जब किसी बार किसी अन्ना हजारे की ज़रूरत नहीं पड़ी तो इस बार क्यों संसद को अपना काम करने दिया जा रहा ...
टीम अन्ना का हम यकीन क्यों करे ऐसे तो हर गली हर नुकड़ पर  लोग अनशन करने बैठ जाएँगे ..फिर वो वक्त भी दूर नहीं है जब सब अपनी अपनी मांगे ले कर मंत्रियो  के घर के बाहर  बैठ जाएँगे ..ये लोकतंत्र ज़रूर है ..मगर लोकतंत्र का मतलब  मनमानी करना नहीं है...
अब्राहम लिंकन ने लोकतंत्र को परिभाषित किया था  TO THE PEOPLE,FOR THE PEOPLE, BY THE PEOPLE...मगर आज जो भारत की दशा हो गयी है ..उसे तो लगता है लोकतंत्र को ऐसे परिभाषित करना चाहिए...TO THE PEOPLE ,FOR THE PEOPLE ,BY THE ANNA HAZARE...
अगर इस टीम अन्ना की जाँच करवाए जाए तो अन्ना हजारे के अलावा सब ही भ्रष्ट पाए जाएँगे
कही टीम अन्ना संसद को अन्ना के अधीन तो नहीं समझ रही  ...या अन्ना को संसद से सर्वोपरि तो नहीं समझ बैठी ...क्युकी हालात  अब यही सवाल उठा रहे है ... संसद बड़ी है या अन्ना ???
                                                                                                                          

                                                               

Friday 23 December 2011

इंसानियत का एक नाम "अब्दुल सत्तार एधि "

अब्दुल सत्तार एधि पाकिस्तान का वो जाना माना नाम जिस पर कोई भी पाकिस्तानी आँख बंद कर के यकीन करता है...ये भले कोई पाकिस्तान का जनक या नेता नहीं बल्कि ऎसी शक्सियत जो अगर किसी रोड पर भी खड़े हो जाए तो ७-८ करोड़ चंदा आराम से इकट्टा कर ले ..चौकिये मत ...क्युकी ये मैं नहीं कह रही ये खुद एधि साहब का कहना है...
EDHI FOUNDATION पाकिस्तान की एक ऎसी नॉन प्रोफिताब्ले संस्था है जो १९५१ से कार्यरत है ..ये समाज सेवी संस्था है जो आपातकाल सेवाएँ ,एम्बुलेंस ,मानसिक रूप से कमज़ोर ,महिलाओ ,बच्चो ,वृधो , का सहारा है...इस संस्था की कोई सहायता सीमा नहीं है...अब्दुल सत्तार एधि का मानना है ..के उनका जीवन इंसानियत को समर्पित है...अब्दुल ने पाकिस्तान में एक बार राजनीती का हिस्सा बनाने की कोशिश की ..इलेक्शन में खड़े होने पर ये चीज़ एक बहूत ही अतुल्निय है की अब्दुल को किसी विरोधी का सामना नहीं करना पड़ा ..क्युकी उनके खिलाफ कोई खड़ा ही नहीं हुआ...मगर  अब्दुल ने जल्द ही राजनीती छोड़ दी ..उनका मानना था की वो पाकिस्तान की सेवा करना चाहते है जो इस जगह से संभव नहीं है ...
जहा पाकिस्तान को धार्मिक रूप से  बहूत कट्टर देश मन जाता है वही अब्दुल सत्तार साहब का मानना है की  इंसानियत दुनिया के तमाम धर्मो से ऊपर है ..उन्होंने अपने संगठन की शुरुवात ही कुछ उस वक़्त की जब पाकिस्तान जैसे देश को सच में किसी ऐसे व्यक्ति की ज़रुरत थी जो सचे मन से सेवा करना चाहता हो...edhi foundation सिर्फ एक पाकिस्तानी समाज सेवी संस्था नहीं है ..बल्कि अमेरिका ,लन्दन ,कनाडा ,बंगलादेश ,जापान ,ऑस्ट्रेलिया, नेपाल और अफ्घनिस्तान में भी कार्यरत है..

अब्दुल सत्तार एधि का मानना है की इंसान को खुदा ने सबसे सर्वाश्रेट प्राणी बनाया है...उसका भी मकसद यही है के इन्सान अपना जीवन दुसरो को जीवन देने में गुज़ार दे..सिर्फ इंसानों के लिए ही नहीं जानवरों की भी कई संस्था edhi foundation के अन्दर कार्य कर रही है ...ये संस्था आम आदमी  के अनुदान द्वारा चलाई जा रही है...अब्दुल सत्तार सा सारा परिवार उन्ही की तरह इसी संस्था को अपनी सेवा प्रदान कर रहे है...अब्दुल सत्तार एधि ने ना केवल दुसरो की सेवा की अपितु अपने जीवन के लक्ष्य को भी प्राप्त  किया है ...ऎसी संस्था और ऐसे व्यक्तित्व हम सभी के लिए एक आदर्श रूप है...

Wednesday 21 December 2011

कैसा होगा लोक पाल ???

लोक पाल को ले कर तलवारे खीच चुकी है . जितना बवाल और विरोध लोक पाल को ले कर संसद के बहार हो रहा है उतना ही विरोध इसका संसद के भीतर भी चल रहा है.लालू और मुलायम जैसे नेता तो इसके विरोध मे है ही मगर बीजेपी भी अब इसके विरुद्ध आ चुकी है.मगर इन सब के दर लोक पाल को ले कर अलग अलग है .
जहां बीजेपी का मानना है की इस लोक पाल में कोई दम नहीं है तो वही मुलायम को ये डर सता रहा है की यदी सारी  ताक़त एक हाथो में दे दी जाएगी  तो नेताओ की कोई इज्ज़त नहीं रह जाएगी .
बुधवार को स.पा के नेता मुलायम सिंह ने लोक पाल का पुर जोर विरोध किया..उनका कहना था अगर ऐसा लोक पाल बनाया गया जिसमे सारी शक्ति एक व्यक्ति में समाहित होगी तो वो दिन दूर नहीं जब दरोगा नेताओ को उठा कर जेल में ठूस देंगे. कि लोकपाल आ जाएगा तो एसपी, डीएम, दरोगा जब चाहेंगे, हमें जेल भेज देंगे। ....मुलायम का मानना है ऐसा लोक पाल बना तो पुलिस के पास सारी ताकत होगी और नेताओ की कोई इज्ज़त नहीं करेगा..लालू भी मुलायम के समर्थन में उतरे और उन्होंने कहा की इस  साजिश को सांसदों को समझना चाहिए ..
मगर रोचक बात यह है की ये वही मुलायम है जो शुरुवात में अन्ना का खुले आम समर्थन करते नज़र आ रहे थे ..और आज वही अन्ना से अपनी कन्नी काट रहे है ..इससे  पहले अन्ना की रैली में राम गोपाल यादव जो राज्य सभा के एम.पी भी है ..वो भी खुले शब्दों में अन्ना के समर्थन करते नज़र आये 
अब इकदम से अन्ना हजारे से मुह फेर लेना...कुछ समझ नहीं आया ..
मगर, बीजेपी का रुख इन दलों से कुछ अलग है। बीजेपी लोकपाल को और मजबूत बनाना चाहती है। पार्टी महासचिव और प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि पार्टी लोकपाल को और मजबूत बनाना चाहती है। उन्होंने कहा कि लोकसभा में बहस के दौरान पार्टी का रुख यह रहेगा कि सीबीआई को लोकपाल के दायरे में होना चाहिए। 
राज्यसभा में पार्टी के नेता अरुण जेटली ने कहा कि बीजेपी संसद के सत्र की अवधि बढ़ाए जाने पर तो सरकार से सहमत है लेकिन प्रस्तावित लोकपाल बिल के प्रावधानों से नहीं। उन्होंने साफ किया कि उनकी पार्टी मौजूदा स्वरूप में बिल का समर्थन नहीं कर सकती। 
साफ हो गया है कि 27, 28 और 29 दिसंबर को लोकपाल के मसले पर अन्ना के अनशन और बीजेपी के विरोध के चलते सरकार को संसद के बाहर ही नहीं अंदर भी तगड़ा विरोध झेलना होगा।..ऐसी स्थिथि में इतने सारे विरोधो के चलते कैसा लोकपाल आएगा ये देखना है ..



Monday 19 December 2011

राखी जैसा कोई नहीं ..!!

काफी दिन से शांत राखी सावंत  ने अपनी चुप्पी तोड़ी और अब फिर मीडिया की चहेती...मीडिया का सहारा ले कर कटरीना पे आरोप लगाती नज़र आ रही है ...
राखी का कहना है की कटरीना शुरू से अभी तक उनकी नक़ल करती आ रही है..उनका ऐसा मानना है राखी जो कुछ करती है वो पहली बार किया गया होता है अब चाहे वो अपने बॉय फ्रेंड  को मीडिया के सामने थापद मरना हो या बिग्ग बॉस के घर में  मरने की धमकी देना हो ..यहाँ तक तो हम हम मान सकते है की वो जो भी करती है सच मुच अद्भुत ही होता है ...और अतुल्निय भी ..मगर अब कटरीना पे उनका ये आरोप है की कटरीना ने अग्निपथ में चिकनी चमेली पर जो डांस किया है वो तारीफ के काबिल तो है मगर कटरीना ने कुछ नया नहीं किया ..बल्कि वो अब राखी के नक़्शे कदम पर चलने लगे है..राखी कहती है की अभी से नहीं कटरीना ने जो डांस शीला की जवानी में किया था उसमे भी राखी ही उनकी प्रेरणा रही ...क्युकी राखी.."दखता है तू क्या" में  वो पहले ही कर चुकी है ...
कही इस स्तातेमेंट के पीछे राखी का ये दर तो नहीं के अब उनकी जगह वीणा CONTROVERCIAL  दुनिया की रानी बन गए है ..वो जो भी हो...मगर राखी को ये इलज़ाम किस पर लगा रही है.....शायद ये बात राखी को याद नहीं था ...उनको जल्द ही इस चीज़ का एहसास हुआ और उन्हें लगा कही   कटरीना पर वार करना उन पर ही न भारी पढ़ जाए ..इसिलय राखी ने फ़ौरन कह दिया अगर कोई उनकी नक़ल करता तो उन्हें ये चीज़ पसंद है...अगर उनकी कोई नक़ल करता है तो इसिलए क्युकी वो सब की चहेती है ...कही राखी खुद को ड्रामा कुईं की जगह डांसिंग कुईं तो नहीं समझती ??????????
ये तो राखी ही बेहतर जानती होगी

Sunday 11 December 2011

is india really against the corruption?

आज हम जहा भी देख रहे है हमे वही लोग नज़र आ रहे है जो भरष्टाचार के खिलाफ है ...कोई भी ऐसा मुझे अब याद नहीं जो खुद को भारस्ताचार का सहभागी बताता दिखे...जिसका उदहारण हम अन्ना हजारे के मोर्चो  में देख सकते है ..जहा सभी india against corruption के पोस्टर लिए देखंगे ...आज पूरा भारत चाहता है की भारत सेcorruption   का अंत हो जाए...मगर हम ये ही क्यों भूल जाते है की उस भरष्टाचार...उस corruption की जड़ कही न कही हम में ही है ...


आज एक आम विद्यार्थी से ले कर एक उच्च वर्गीय व्यक्ति यही चाहता है की इसका अंत हो...मगर हम ये क्यों भूले जा रहे है की ये देश हमसे ही बनता है..इस देश के नागरिक हम ही है...तो यहाँ corrupt भी हम ही है..आज अगर किसी काम के लिए लम्बी लाइन होती है तो हम उस लम्बी लाइन का हिस्सा बनने से बेहतर कुछ पैसा चपरासी को खिला कर खिड़की छोड़ के दरवाज़े से  काम करवाना सही समझते है ....अब चाहे वो लाइन कॉलेज में फॉर्म जमा करने की हो या और किसी दफ्तर की... ऑटो  में ४ की जगह ६ बेह्ताने वाले अपने ऑटो के आगे अन्ना हजारे का समर्थन करते नज़र आ रहे है...स्कूल और कॉलेज में अपने पढ़ाने के टाइम पे चाय की चुस्की लेने वाले बच्चो को अन्ना का समर्थन  करना सिखा रहे है...हॉस्पिटल में कभी टाइम पे न आने वाले डॉक्टर खुल कर अन्ना की भाषा बोल रहे है ...और अब बात करते है उस उच्च वर्ग की जो अपनी पैसो की धोस दिखा कर हर जगह खुद को सर्वोच साबित कर जाते है ......तो क्या पैसा खाना ही corruption है????? खिलाना नहीं? हम किसका साथ दे रहे है ...अपने दुस्मानो का क्युकी हम खुद ही इसका हिस्सा है..हमे सर्कार से किसी बिल के लिए लड़ना छोड़ कर खुद से लड़ना सिख लेना चाहिए...
माना देश बहुत ब्रष्ट हो चूका है ..भारस्ताचार की दीमक इससे खाए जा रही है ...मगर ये दीमक अमेरिका या चीन की भेजी हुए नहीं है ...यहाँ आ के corruption जर्मनी या इटली नहीं करा ...अगर लड़ना है तो अपने अन्दर के corruption के कीड़े को मारना पड़ेगा तब कही जा कर ये देश सुधर पाएगा
ऐसे में सवाल हमे खुद से पूछना चाहिए...are we really against the corruption??